Men Sexual Problems, Oligospermia

पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी का आयुर्वेदिक उपचार / Ayurvedic And Herbal Treatment For Low Sperm Count (Oligospermia)

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पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी (Oligospermia)

आधुनिक जीवन शैली हमारी सेहत को घुन की तरह खा रही है. आजकल की भागदौड़ की ज़िन्दगी में आदमी को सेहत तब याद आती है जब वो किसी गंभीर बीमारी में फँस चुका होता है.
ऐसी ही एक परेशानी है: पुरुषों में शुक्राणुओं (sperms) की संख्या में कमी. इसे अंग्रेजी में ओलिगोज़ूस्परमिआ (oligozoospermia) या ओलिगोस्पर्मिआ (oligospermia) कहते हैं.
शुक्राणुओं की कमी की वजह से बच्चा न हो पाना यानि निसंतान रह जाना (infertility) आजकल एक आम सी बात हो गयी है.

तो आज के इस आर्टिकल में हम पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में कमी की वजह जानेंगे और फिर इसका सरल आयुर्वेदिक हर्बल इलाज आपको बताएँगे.

वीर्य और शुक्राणु (Semen And Sperms):

सम्भोग (intercourse) के समय जो द्रव लिंग से निकलता है वह वीर्य है. वीर्य में शुक्राणु होते हैं. एक तंदुरुस्त लड़का एक बार में लगभग 2 से 5 मिली. वीर्य निकालता है. वीर्य के 1 मिली. में औसतन 100 मिलियन शुक्राणु होते हैं.
वीर्य जब औरत की योनि (vagina) में गिरता है तो ये सभी शुक्राणु वहाँ पहले से मौजूद ओवम (ovum=अंडा) की  तरफ दौड़ते हैं लेकिन सिर्फ एक शुक्राणु अंडे से मिल पता है, बाक़ी सभी शुक्राणु योनि के अंदर ही मर जाते हैं. इस तरह एक शुक्राणु और अंडे के मिलने से बच्चा (embryo) बनना शुरू हो जाता है.

यानि एक शुक्राणु + एक अंडा = बच्चा .


अब आप सोच रहे होंगे कि अगर सिर्फ एक ही शुक्राणु चाहिए बच्चा बनने के लिए तो फिर लाखों, करोड़ों शुक्राणुओं की क्या ज़रुरत है?
ज़रुरत है : क्योंकि जितने ज़्यादा शुक्राणु होंगे, उतना ही शुक्राणु के अंडे तक ज़िंदा पहुँच जाने के चान्सेस बढ़ जायेंगे.
वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम होने पर पुरुष के संतान पैदा करने के चान्सेस (chances) कम होते चले जाते हैं. और अगर यही संख्या गिरकर 20 मिलियन प्रति मिली. से नीचे चली जाती है तो इसे ओलिगोस्पर्मिआ (oligospermia)  कहा जाता है और संतान उत्पन्न करने के चान्सेस बहुत कम रह जाते हैं.

ओलिगोस्पर्मिआ के मुख्य कारण (Causes of Oligospermia) :

  •  ज़्यादा चुस्त अंडरविअर पहनना.
  • लैपटॉप को जांघों पर रखकर इस्तेमाल करना.
  • ज़्यादा देर तक बाइक या कार की सीट पर बैठे रहना.
  • ज़्यादा देर तक एक ही जगह बैठे रहना.
  • खाने में सेलेनियम (selenium)  की कमी आदि.
  • मोटापा (Obesity)

 

ओलिगोस्पर्मिआ का आयुर्वेदिक उपचार

(Ayurvedic and Herbal Treatment for Oligospermia):

ओलिगोस्पर्मिआ पूरी तरह से दूर किया जा सकता है और वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाई जा सकती है. इसका सबसे सफल इलाज है:

धातुपौष्टिक चूर्ण.

धातुपौष्टिक चूर्ण बनाने का तरीका:

  • गोखरू बीज, सफ़ेद और काली मूसली, शतावरी, कबाब चीनी, विदारीकंद, वंशलोचन, सोंठ, बीजबंद, शतावरी, चोपचीनी, अश्वगंधा, काली मिर्च, सालम मिश्री प्रत्येक 12 ग्राम
  • निशोथ 70 ग्राम
  • मिश्री 250 ग्राम.

इन सभी को साथ पीस लें और सुबह शाम  3-3 ग्राम दूध की साथ लें.

दोस्तों ऊपर दी गयी जानकारी सिर्फ आपकी जागरूकता के लिए है. आप इन सभी का इस्तेमाल आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श से एवं दिशानिर्देशन में ही करें. आप गो-क्यूरेबल की टीम से भी अपनी परेशानी शेयर कर सकते हैं और हमारे अपने प्रोडक्ट धातुपौष्टिक चूर्ण जोकि मानकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है से लाभान्वित हो सकते हैं.