Common Cold/सर्दी

सर्दी की एलर्जी का शुद्ध आयुर्वेदिक उपचार / Ayurvedic Treatment For Cold Allergy and Excessive Sneezing

प्रिय मित्रों, यू आर क्यूरेबल में आपका स्वागत है.

सर्दी शरू हो गयी है और साथ ही सर्दी के कारण होने वाली एलर्जी भी.
हमारे बहुत से मित्र जाड़ा आरम्भ होते ही सर्दी के प्रभाव से होने वाली एलर्जी से परेशान हो जाते हैं. अत्यधिक छींक आना, नाक बहना, नाक से सांस न आ पाना आदि सर्दी की एलर्जी के कुछ लक्षण हैं. ऐसे में अगर इसके लिए कोई एलोपैथिक दवाई लेना चाहता है तो उनसे फायदा तो होता है क्यूँकि एलोपैथिक दवाइयाँ सिम्पटोमैटिक रिलीफ (symptomatic relief) प्रदान करती हैं परन्तु उनके साइड इफेक्ट्स इतने अधिक होते हैं कि उनका नियमित सेवन करना स्वयं को संकट में डालना ही है.

ऐसे में आयुर्वेद एक सुखद बयार की तरह है. आयुर्वेद में सर्दी की एलर्जी का उपयुक्त एवं कारगर इलाज भी है और कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं है.
तो आओ जानें आयुर्वेद में सर्दी की एलर्जी का क्या उपचार है?

दोस्तों सबसे पहले मैं आपको एलर्जी और इन्फेक्शन यानि संक्रमण में अंतर बता दूँ. एलर्जी और इन्फेक्शन यानि संक्रमण में अंतर है. एलर्जी किसी बाहरी कारक के कारण उत्पन्न होने वाले लक्षण हैं . ये बाहरी करक कोई निर्जीव पदार्थ जैसे तापमान, फूलों के परागकण हो सकते हैं. यह बाहरी कारक सोद्देशय हानि नहीं पहुँचाता है, बस हमारा प्रतिरक्षा तंत्र इस बाहरी कारक को संभावित खतरा मानकर जो प्रतिक्रिया करता है वह एलर्जी है.
जबकि इन्फेक्शन में कोई बाहरी करक जैसे बैक्टीरिया या वायरस या अन्य सूक्ष्म जीव सोद्देशय हमारे शरीर में प्रवेश करता है और हमारे शरीर को हानि पहुँचाता है.

फ्लू वायरस से होने वाले इन्फेक्शन जैसे सामान्य जुकाम, स्वाइन फ्लू के लक्षण सर्दी की एलर्जी से काफी मिलते है. यदि आपको हर बार सर्दी का मौसम आने पर एलर्जी होती है तो यह एलर्जी है अन्यथा फ्लू भी हो सकता है, अतः सांस लेने में यदि तकलीफ है तो डॉक्टर का परामर्श अपरिहार्य है .

फिलहाल हम बात करेंगे केवल सर्दी यानि कम तापमान की वजह से होने वाली एलर्जी के बारे में.
आयुर्वेद में इसके लिए प्रतिश्याय शब्द का प्रयोग किया जाता है. आयुर्वेद में प्रतिश्याय को कफजन्य माना गया है और इसके लिए कफशामक औषधियाँ दी जाती हैं

लक्षण (indications)

सुबह के समय बहुत ज़्यादा छींके आना, नाक बहना, नाक से सांस न ले पाना, गले में कफ का जमा हो जाना, सूखी खांसी, अधिक प्रकोप की स्थिति में आँखों से भी पानी आने लगता है.

प्रतिश्याय का आयुर्वेदिक उपचारअत्यंत सरल, शत प्रतिशत कारगर है और कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं है.
तो आओ जानें:

प्रेस्क्रिप्शन (Prescription)

  1. सितोपलादि चूर्ण या तालीशादि चूर्ण : 3 ग्राम (लगभग एक छोटा चम्मच) दिन में दो बार शहद से, (सितोपलादि, तालीशादि चूर्ण को सूखा या पानी से हरगिज़ न लें),
  2. गोजिह्वादी क्वाथ : 10 से 20 ग्राम दो गिलास पानी में डालकर हलकी आंच पर तब तक पकाएं जब तक पानी एक गिलास न रह जाए. ठंडा करके गिलास में रख लें. यह भी आधा आधा गिलास दिन में दो बार लें.
  3. गोजिहवादी क्वाथ के पकते समय जो भाप निकले उसे सुरक्षित दूरी पर मुंह और नाक के ज़रिये खींचे, इससे जमा हुआ कफ पिघलेगा और नाक खुलेगी.
  4. च्यवनप्राश दो चम्मच दिन में दो बार हलके गर्म दूध से च्यवनप्राश के दूध में ही एक चम्मच हल्दी भी मिला लें.

(गोजिहवादी क्वाथ की भाप लेने की सही विधि)

अपथ्य (इन चीजों का इस्तेमाल न करें – Don’t use : ठंडी चीज़ें जैसे आइस क्रीम, बहुत अधिक ठंडा पानी

ध्यान रहे (Precautions) : अचानक से बिस्तर से निकलकर बाहर न जाएँ, पहले कुछ देर कमरे में बैठे रहे, हीटर के सामने से उठकर तुरंत बाहर न निकलें

मित्रों उपरोक्त जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है और आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श का बदल नहीं है, यदि आप हमसे इस विषय में परामर्श चाहते हैं तो कांटेक्ट करें.