Jaundice/पीलिया, Liver Health

पीलिया का आयुर्वेदिक विधि से जड़ से सफाया कैसे करें/Ayurvedic Treatment For Jaundice

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Jaundice: Causes And Treatment

पीलिया: कारण और निवारण

दोस्तों, गो क्यूरेबल में आपका एक बार फिर से स्वागत है.

आज हम बात करेंगे पीलिया यानी jaundice रोग की.

दोस्तों इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़िए. इस आर्टिकल के ज़रिये हम आपको बताएँगे कि जॉन्डिस (jaundice) यानी पीलिया रोग कैसे होता है, इस रोग को पहचानने के लिए कौन सी जांचें (investigationa) कराई जानी चाहिए, आधुनिक मेडिकल साइंस (Modern Medical Science) में पीलिया का क्या इलाज है और सबसे ख़ास बात यह कि पीलिया का आयुर्वेद में क्या उपचार है.

What Is Jaundice? पीलिया क्या है?

पीलिया असल में एक स्थिति है, एक लक्षण है और अपनेआप में एक रोग नहीं है बल्कि किसी और रोग के कारण पीलिया पैदा होता है. पीलिया में त्वचा और स्क्लेरा (sclera) (आंख का बाहरी सफ़ेद हिस्सा) का रंग पीला पड़ जाता है. पीलिया को इंग्लिश में जॉन्डिस (jaundice) कहते हैं जोकि फ्रेंच भाषा के शब्द से बना है और इसका मतलब ‘पीला रंग’ होता है. मेडिकल की ज़बान में जॉन्डिस के लिए इक्टेरस (icterus) शब्द प्रचलित है और इसका मतलब भी ‘पीला रंग’ ही होता है.

हमारे शरीर में लगातार नयी रेड ब्लड सेल्स (red blood cells) बनती रहती हैं और पुरानी रेड ब्लड सेल्स को स्प्लीन (spleen = तिल्ली) में उनके घटकों (constituents)) में तोड़ा जाता है ताकि नयी आरबीसी (RBC) बनाने में उनका इस्तेमाल किया जा सके. RBC के इसी विघटन (degradation) से बिलिरुबिन (bilirubin) बनता है. यह बिलिरुबिन लीवर (liver) और पित्त (bile) के ज़रिये मल (faeces) के साथ शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है. जब किसी कारण से बिलिरुबिन या तो ज़्यादा मात्रा में बनने लगता है या शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है तो यह बिलीरुबिन खाल में जमा होने लगता है और शरीर का रंग पीला दिखाई देने लगता है और पीलिया रोग बन जाता है. चूंकि यह बिलीरुबिन के खून में बढ़ जाने की वजह से होता है इसलिए इसे हाइपरबिलिरूबीनीमिया (hyperbilirubinemia) भी कहते हैं.

Causes Of Jaundice: पीलिया किस वजह से होता है?

कारणों के आधार पर पीलिया तीन तरह का होता है:

1. प्रि-हिपेटिक पीलिया (Prehepatic Jaundice)
इस प्रकार के पीलिया में जिगर (यकृत = लिवर ) तो ठीक काम कर रहा होता है लेकिन किसी वजह से आरबीसी का विघटन ज़्यादा होने लगता है
जैसे- गुर्दे के रोगों में,  तिल्ली (spleen) का बढ़ जाना (splenomegaly) वग़ैरा

2. हिपेटिक पीलिया (Hepatocellular Jaundice)

हिपेटिक जॉन्डिस में लीवर सही काम नहीं करता है जिस वजह से बिलीरुबिन शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है.
जैसे- हेपेटाइटिस (hepatitis) रोग में,  अल्कोहल के ज़्यादा इस्तेमाल से

3. पोस्ट-हिपेटिक पीलिया (Posthepatic Jaundice)

जब लीवर भी सही काम कर रहा हो और ब्लड में आरबीसी के टूटने की दर भी सामान्य हो लेकिन बाइल डक्ट (bile duct) में या बिलियरी सिस्टम (biliary system) में कहीं रुकावट होने की वजह से बिलीरुबिन आंत (intestine) में नहीं जा पाता और मल की साथ बाहर नहीं निकल पाता और शरीर में जमा होने लगता है. जैसे-  पित्त की थैली (gall bladder)की पथरी, बिलियरी सिस्टम या पैंक्रियास का कैंसर

Investigations: जॉन्डिस की जांच: 

यूँ तो जॉन्डिस की पहचान त्वचा (skin) और आँख के स्क्लेरा (आँख की सफेदी) के पीले रंग को देखकर भी की जाती है लेकिन जॉन्डिस का स्टैंडर्ड टेस्ट ब्लड में बिलिरुबिन की मात्रा के ज़रिये किया जाता है.
एक स्वस्थ व्यक्ति के 100 मिलीलीटर खून में बिलीरुबिन का सामान्य लेवल 0.5 से 1.5 मिलीग्राम होता है, जब किसी व्यक्ति के खून में यह लेवल 1.5 मिलीग्राम से ज़्यादा बढ़ा हुआ पाया जाता है तो उस व्यक्ति को पीलिया से पीड़ित माना जाता है.

यहाँ मैं फिर कहना चाहूँगा कि पीलिया खुद में कोई रोग नहीं है बल्कि किसी और रोग से पैदा होने वाला एक लक्षण है.

Jaundice In Ayurveda: पीलिया का आयुर्वेदीय मत:

पीलिया को आयुर्वेद में कामला कहा गया है. कामला को रक्तज और पित्तज माना गया है. आयुर्वेद में कामला (jaundice) को पाण्डु रोग (anemia) का कम्प्लीकेशन (complication) माना गया है. कामला के अन्य रूप जो आयुर्वेद के ग्रंथों में मिलते हैं: कुम्भ्काम्ला, हलीमक, लाघरक, पानकी, लोढर आदि.

Ayurvedic Treatment For Jaundice: पीलिया का आयुर्वेदिक उपचार:

यहाँ यह बात कहना ज़रूरी है कि पीलिया की पुष्टि हो जाने पर तात्कालिक स्वास्थ्यय लाभ एवं सिम्पटोमैटिक रिलीफ (symptomatic relief) के लिए मॉडर्न मेडिसिन लें. रोग के समूल नाश के लिए निम्न आयुर्वेदिक उपचार लें
1.
योगराज – 250 मिलीग्राम
इच्छाभेदी रस – 125 मिलीग्राम
त्रिफला चूर्ण – 3 ग्राम
गुनगुने पानी से सुबह शाम

2.
मार्कण्ड आदि हिम – 20 मिली.
गुनगुने पानी से सुबह शाम

3.
आरोग्यवर्धनी वटी – 2 गोलियाँ दिन में तीन बार

4.
द्राक्षारिष्ट – 20 मिली समान मात्रा जल से दोनों टाइम खाने के बाद

5.
रात में सोने से पहले
हरिद्रादि घृत 20 मिली, दूध से

एक बहुत ही ख़ास बात
अल्कोहल यानी शराब लीवर के लिए ज़हर की तरह होती है. लीवर का सही काम न करना ही पीलिया का मुख्य कारण होता है. इसलिए अल्कोहल का सेवन बिलकुल न करें.

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