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आज हम आपको एक ऐसी बात के बारे में बताने जा रहे हैं जो हर आदमी की पहली और आखरी ख्वाहिश रही है.
जब से आदमी इस दुनिया में आया है तब से एक सपना उसने हमेशा देखा है और वह है हमेशा जवान बने रहने का ख्वाब. हर आदमी चाहता है कि वह कभी बूढ़ा न हो और हमेशा जवान बना रहे. पहले आदमी ने क़िस्से कहानियों के ज़रिये अपनी इस इच्छा को व्यक्त किया. दुनिया भर का इतिहास ऐसी कल्पनाओं और कहानियों से भरा पड़ा है जहाँ हम ऐसी दवाइयों और नुस्खों के बारे में पढ़ते हैं जो इंसान को हमेशा के लिए जवान बना कर रख सकते थे. जैसे कि देवताओं के पास ऐसा सोमरस था जिसे पीकर वे चिर-युवा (ever youth)बने रहते थे.
समय बदला लेकिन इंसान की हमेशा जवान बने रहने की ख्वाहिश ज्यों की त्यों बनी रही.
आज के वक़्त में अरबों डॉलर्स सिर्फ इस रिसर्च (research) में लगाए जा रहे हैं ताकि पता लगाया जा सके कि इंसान आखिर क्यों बूढ़ा होता है, और क्या आदमी की उम्र बढ़ने की यह प्रक्रिया रोकी जा सकती है या धीमी की जा सकती है?
दोस्तों आजका हमारा यह लेख (article) इसी बारे में है कि क्या यह संभव है कि हम हमेशा जवान बने रह सकें. क्या वाक़ई यह मुमकिन है? तो आइये जानें.
गो क्यूरेबल ‘चिर-तारुण्य (ever youth)’ के इस रंगीन और कल्पनातीत सफर में ठोस तथ्यों के जहाज़ में आपको लेकर चलता है.
जब हमें किसी दुश्मन को ख़त्म करना होता है तो पहले उसके बारे में जानकारी इकठ्ठा करनी होती है. बुढ़ापा भी एक दुश्मन ही है. तो जब आदमी ने इसे ख़त्म करने का मंसूबा बनाया तो सबसे पहला सवाल यही उठा कि आखिर हम बूढ़े होते ही क्यों है?
तो गो क्यूरेबल भी सबसे पहले इसी सवाल के जवाब से आपको रूबरू कराना चाहता है कि आखिर आदमी की उम्र क्यों बढ़ती है.
हमारी उम्र क्यों बढ़ती है और हम वक़्त के साथ बूढ़े क्यों होते चले जाते हैं?
Why in the first place we age and why we become old?
उम्र बढ़ने और उसके साथ में होने वाले बुरे बदलावों को सामान्य अंग्रेजी में एजिंग (aging) कहा जाता है. यह सवाल कि हम क्यों बूढ़े होते हैं कितना ख़ास है इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके लिए मेडिकल साइंस (medical science) की एक अलग शाखा ही बन गयी: ‘साइंस ऑफ़ एजिंग’ या जिरोंटोलॉजी (Gerontology).
रिसर्च से पता चला है कि उम्र बढ़ने की यह प्रक्रिया काफी जटिल है और कई सारे कारक (factors) मिलकर एजिंग की प्रक्रिया में भाग लेते हैं. इनमे से दो मुख्य हैं:
हमारी जेनेटिक प्रोग्रामिंग (Our genetic programming)
हमारे शरीर की कोशिकाएं (cells) इस बात के लिए पहले ही से प्रोग्राम्ड (programmed) होती हैं कि उन्हें किस उम्र में क्या करना है. कौन से पदार्थ बनाने हैं और कौन से पदार्थों का निर्माण बंद करना है. जैसे कि एक ख़ास उम्र के बाद कोलेजन (collagen) बनना कम हो जाता है जिसकी वजह से झुर्रियां (wrinkles) पड़नी शुरू हो जाती है.
इसी तरह एजिंग को कण्ट्रोल करने वाला दूसरा मुख्य कारक है, ऑक्सीजन फ्री रेडिकल्स (oxygen free radicals). क्या है
उम्र बढ़ने की फ्री रेडिकल थ्योरी, एक नज़र:
हमारे शरीर में हज़ारो केमिकल रिएक्शंस (chemical reactions) हर समय चलती रहती हैं, इन्हीं केमिकल रिएक्शंस के फलस्वरूप हमारे शरीर में ऑक्सीजन फ्री रेडिकल्स नाम के केमिकल्स बनते हैं. ये ऑक्सीजन फ्री रेडिकल्स भी एजिंग की प्रक्रिया में भाग लेते हैं और शरीर को बुढ़ापे की तरफ ले जाते हैं. जी हाँ चोंकिये मत, हर वो चीज़ जिसमें ऑक्सीजन शब्द जुड़ा हो ज़रूरी नहीं कि अच्छी ही होगी.
ये ऑक्सीजन फ्री रेडिकल्स उम्र बढ़ने पर शरीर में होने वाले बदलावों के लिए काफी हद तक ज़िम्मेदार माने गए हैं.
क्या हम हमेशा जवान और सुन्दर बने रह सकते हैं?
अब सबसे ख़ास सवाल, क्या हम एजिंग यानी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया रोक सकते हैं? क्या हम हमेशा जवान और सुन्दर बने रह सकते हैं?
Now the most important question is whether we can stop deleterious effects of ageing or at least slow the process of ageing?
चूँकि हम अपनी जेनेटिक प्रोग्रामिंग तो नहीं बदल सकते तो उम्र का पूरी तरह से बढ़ने से रोक पाना तो मुमकिन नहीं है,
पर हाँ,
इसमें भी कोई शक नहीं कि आप उम्रके बढ़ने की प्रक्रिया को काफी हद तक कण्ट्रोल कर सकते हैं और धीमा कर सकते हैं.
जैसा कि हमने अभी पढ़ा कि उम्र बढ़ने के लिए शरीर में बनने वाले ऑक्सीजन फ्री रेडिकल्स भी ज़िम्मेदार होते हैं. इन्हीं ऑक्सीजन रेडिकल्स को बनने के साथ ही अगर ख़त्म कर दिया जाए तो उम्र को काफी हद तक बढ़ने से रोका जा सकता है.
एंटीऑक्सिडेंट्स (antioxidants) फ्री रेडिकल्स को मारते हैं और इस इस तरह उम्र बढ़ने की दर को कम करते हैं
जो nutrients ऑक्सीजन फ्री रेडिकल्स को मारते हैं ‘एंटीऑक्सिडेंट्स (antioxidants)’ कहलाते हैं. ये एंटीऑक्सिडेंट्स , ऑक्सीजन फ्री रेडिकल्स को ख़त्म करके उम्र के बढ़ने पर लगाम लगाते हैं और उम्र बढ़ने की वजह से होने वाले अनचाहे बदलाव जैसे झुर्रियां पड़ जाना (wrinkles), बाल झड़ना (hair fall) जैसे अनगिनत बुरे प्रभावों को रोकते हैं.
सबसे अच्छी बात ये है कि ये एंटीऑक्सिडेंट्स आपको लाख या दो लाख रूपयों में नहीं, बल्कि बहुत आसानी से और बहुत सस्ते में मिल सकते हैं.
एंटीऑक्सिडेंट्स कहाँ मिल सकते हैं?
Where can you get antioxidants?
वे सभी फल और सब्ज़ियां जिनमें लाल रंग होता है एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर माने जाते हैं. जैसे: गाजर (carrots), चुकंदर (beetroot), अनार (pomegranate), काले अंगूर (red/black grapes)आदि.
इनमें भी काले अंगूरों को एंटीऑक्सिडेंट्स का भंडार (rich source) माना जाता है.
इन सभी फलों और सब्ज़ियों को अपने खाने में शामिल कीजिये और बुढ़ापे को कहिये बाय बाय.
इन बातों का भी रखें ध्यान:
मोटापा बिलकुल न बढ़ने दें. शरीर का वज़न ‘बॉडी मास इंडेक्स (body mass index)’ के अनुसार कण्ट्रोल रखें.
स्मोकिंग (smoking) और शराब का बिलकुल सेवन न करें.
शरीर को हलके व्यायाम (mild exercise) की आदत डालें.
शरीर को एंटीऑक्सिडेंट्स की पर्याप्त मात्रा मिलती रहे, इसके लिए ‘गो क्यूरेबल’ ने खासतौर से आपके लिए तैयार किया है ‘Antoxon:One for All’. इसमें सभी प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट्स (natural antioxidants) संतुलित (balanced) मात्रा में मौजूद हैं. इसे आप हमारी वेबसाइट पर ऑनलाइन आर्डर द्वारा प्राप्त कर सकते हैं.
अगर आपकी कोई सेहत सम्बन्धी समस्या है तो आप हमारे ऑनलाइन डॉक्टर्स से कांटेक्ट कर सकते हैं.